Shikha Arora

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लेखनी कविता -10-Mar-2022 -वार्षिक प्रतियोगिता हेतु - लश्कर

लश्कर

लश्कर जिंदग का चलता चला गया ,
मैं तेरी मोहब्बत में तबाह होता चला गया |
मुड़कर न देखा तुमने एक बार भी ,
इंतजार में भी मैं मुस्कुराता चला गया |
मालूम था मुझको तेरे जाने से पहले ,
लौटोगे नहीं तुम मेरी मौत से पहले |
फिर भी सुन ए मेरे हमदम जरा ,
राह की तेरी काटे चुनेंगे तेरे आने से पहले |
लश्कर लाशों का जब बिछा होगा ,
दिल तेरा भी कहीं तड़प रहा होगा |
कोशिश कर रहे होंगे खुद को बहलाने की ,
याद रख तेरा इंतजार कोई कर रहा होगा |
बेबस तुम भी हो जाओगे मिलने को सनम ,
रह तुम भी नहीं पाओगे हमारे बिन सनम |
आएंगी तुम्हें लौटने में मुश्किलें बहुत ,
तोड़ के बंधन फिर भी तुम आओगे सनम |
कारवां यूं ही चलता चला जाएगा ,
जमाना भी हमको यहां समझा न पाएगा |
मिलन की जब रैना आएगी मेरी तुमसे ,
तब तू खुद मुझको लेने दौड़ा आएगा |
तनहाइयां तो बर्दाश्त तुझे भी ना होंगी ,
दुश्वारियां तो कभी खत्म भी ना होगी |
हकीकत में तब्दील होंगे ख्वाब सारे ,
पर ख्वाबों की फेहरिस्त कम भी ना होगी ||

वार्षिक प्रतियोगिता हेतु 
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Mar-2022 04:59 PM

बहुत खूबसूरत

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fiza Tanvi

10-Mar-2022 06:53 PM

Good

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Swati chourasia

10-Mar-2022 04:50 PM

Very beautiful 👌

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